एक दौर था
जब छोटे , बड़ों का
चरण स्पर्श करते थे,
बड़ों का आशीर्वाद मिलता था,
“दीर्घायु भव”…
संस्कार
कुछ ऐसा आज भी है
सिर्फ प्रथा बदल गई है…
आज छोटे, बड़ों के
चरण स्पर्श से कतराते हैं
बड़े उन्हें गले से लगाकर
कहते हैं “यशस्वी भव”…
बड़ों का आशीर्वचन ,
सर पर हाथ रखना ,
बच्चों के लिए
आश्वासन जैसा होता है…
बदलते युग के साथ ,
बदल रहे हैं संस्कार ,
प्रथाएं , कुछ मान्यताएँ
जिनके होने से भी
और न होने से भी
नई पीढ़ी के आचरण में
परिवर्तन अवश्य आया है…
पीढ़ी
दर पीढ़ी के
निर्माण के साथ साथ
इतिहास के पन्ने
बदलते चले गए हैं…
© चंचलिका
1 Comment
वेद प्रकाश · April 23, 2022 at 9:42 am
सत्य को स्पर्श करने वाली एक सुन्दर रचना प्रिय!