उन्हें रचने दो साज़िश
और बनाने दो चक्रव्यूह
अब अभिमन्यु नहीं मारा जाएगा और न ही द्रोणाचार्य एकलव्य का अंगूठा ले पाएंगे
अब वृहन्नला भी संसद तक पहुंचेंगे
शस्त्र समर्पण के प्रति न कोई भीष्म प्रतिज्ञा होगी और न ही होगा महाभारत
जातिगत वर्ग संघर्ष की बात भी निरर्थक है
हाँ जो सोचते हैं अर्थ के बिना सब व्यर्थ हैं
वे मुंह के बल गिरेंगे
वर्चस्व टूटेगा
टूटेगा पूँजीवाद
बहुत जल्दी टूटेगा
जब उठेंगे अस्मिता से जुड़े सवाल और मांग
माँग यह कि संधान नहीं समाधान चाहिए
और उठे सवाल भूख से होती सामूहिक आत्महत्या की, लोमहर्षक त्रासदी केअंतहीन सिलसिला की
और वृद्ध माता-पिता ,भाई-बहन, घर -परिवार के
टूटने बिखरने की
अपमान से विगलित पुनर्सम्मान को लौटाने की
डंके की चोट पर कहता हूँ कि ये पूँजीवाद एक न एक दिन अवश्य टूटेगा
जरूरत है आप मूल्यों के प्रति अडिग रहें देखिएगा
भारतीय परिवेश को क्षत-विक्षत करने पर तुले उस प्रथा का दुहाई देने वाले स्वयं ही अलग-थलग पड़ जाएंगे
यही नहीं जो आजीवन आपके सक्रिय विरोधी रहे हैं वही
सबसे पहले आपसे ऑटोग्राफ लेने आगे बढ़ेंगे
आप निखरेंगे
वे एक न एक दिन टूट कर अवश्य बिखरेंगे
© डॉ कुमार विनोद
2 Comments
MARUTI KUMAR · October 21, 2021 at 8:14 pm
बेहतरीन है सर जी
Mahesh Verma · February 19, 2022 at 10:48 am
उत्कृष्ट रचना!!???