दो दूनी के चार में, माया के बाज़ार में
दुनियावी प्यार में, रोज रोज तकरार में
कष्ट,पीड़ा,संताप,वेदना, दुःख के कई प्रकार में
पड़े हुए हैं आँख मूँद के क्षणभंगुर संसार में
जागो प्यारे आँखें खोलो, देखो क्या है उस पार में
चिंता शंका छोड़ के आओ माता के दरबार में
जय माता दी
1 Comment
Chanchalika Sharma · October 3, 2024 at 3:36 pm
Very nicely written Sunil ji