पिता ,
सिर्फ शब्द नहीं
एक घनेरी छाँव है,
वज़नदार एहसास है…
पिता ,
जिनकी उंगलियों से
मिला उंगलियों को
एक उष्मीय स्पर्श
डगमगाते कदमों को
दी मज़बूती ,
चलना सिखलाया…
पिता ,
आँखों से बहते
झर झर आँसुओं को रोके,
दे होंठों को
मधुर मुस्कान…
पिता ,
बाहों में जिसकी
है फौलादी ताक़त
ढाल बनकर सिखाये,
जीवन के हर मुठभेड़ से रक्षा…
पिता ,
जिन्होंने दिया
अपना नाम, परिचय ,
समाज में वजूद ,
एक ठोस आकार…
पिता ,
जीवन की आपाधापी में ,
शांत मुद्रा में नाव खेते,
एक निश्छल पतवार…
पिता ,
दे नन्हीं आँखों को,
एक जीवंत सपना ,
बने आकाश में
ऊँची उड़ान भरने का
एक स्वप्निल पंख…
पिता,
जिसकी तमाम ज़िंदगी
अपनी संतान,
अपने परिवार के लिए
निःस्वार्थ कर्म करते
गुज़र कर
एक दिन ख़त्म हो जाती है…
© चंचलिका
2 Comments
Chanchalika Sharma · June 24, 2022 at 6:01 pm
कृपया मेरी रचनाओं को अभिव्यक्ति में पढ़ें, समीक्षा करें / कमेंट करें मुझे अच्छा लगेगा
Nivedita Ganguli · June 24, 2022 at 7:20 pm
Beautiful… Your words are heart touching