प्रत्येक भवनों,

बसों,

रेलगाड़ियों व हेलिकॉप्टरों में

होती हैं खिड़की

जिसके द्वारा,

हम देख सकते हैं

भविष्य को,

सुंदर प्राकृतिक नजारों को।

और फिर,बाड़ की भीषण विभिषिकाओं को

देखने को भी तो चाहिए

होती हैं एक खिड़की

जिससे हम दौरों के दौरान

देखते हैं

लाचार व हैरान

मौन व वाचाल

मनुष्यों तथा

अनबोलते जानवरों को

जो लिए रहते हैं साथ अपने

उम्मीद की टक-टकियों को।

© धनंजय शर्मा


Dhananjay Sharma

बोलें तभी जब वो मौन से बेहतर हो

1 Comment

आरती पाण्डेय · August 20, 2021 at 8:01 am

अति सुन्दर रचना।

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