Stambha / Column
मेरी भी एक मुमताज़ थी
बडी जद्दोज़हद के बादतुम्हारा पता मिलाठिकाने पर आने पर तुम नहींदरवाज़े पर बडा सा ताला मिला सोचा बचपन की शरारत की आदतअब तक तुम्हारी गई नहींघर पर रह कर कहलवाने की,कह दो घर पर मैं नहीं आस पास देखा तो महिला थींजो चाबी लेकर आ गईंलो बेटा, अब सम्हालो इसकोज़िम्मेदारी Read more…