Kavita / Shayari
आत्ममंथन
मूल्यहीनता की छायाऔर भ्रष्टाचार का धूप हैजाने क्यूं !आजकल आईना चुप हैहर बात एक बिंदु पर आकरसलट जाता हैइसीलिए आईना टूटता बिखरता तो हैसच दिखाने और कहने का साहस भी है उसमेंपर हवा के सानिध्य में आते हीपलट जाता हैजब Read more…
मूल्यहीनता की छायाऔर भ्रष्टाचार का धूप हैजाने क्यूं !आजकल आईना चुप हैहर बात एक बिंदु पर आकरसलट जाता हैइसीलिए आईना टूटता बिखरता तो हैसच दिखाने और कहने का साहस भी है उसमेंपर हवा के सानिध्य में आते हीपलट जाता हैजब Read more…
उन्हें रचने दो साज़िशऔर बनाने दो चक्रव्यूहअब अभिमन्यु नहीं मारा जाएगा और न ही द्रोणाचार्य एकलव्य का अंगूठा ले पाएंगेअब वृहन्नला भी संसद तक पहुंचेंगेशस्त्र समर्पण के प्रति न कोई भीष्म प्रतिज्ञा होगी और न ही होगा महाभारतजातिगत वर्ग संघर्ष Read more…
न जाने क्यों, मैं फिदा हूं, उसकी चाहत का. ना जाने क्यों, मैं दीवाना हूं, उसकी चाहत का. हर – दम मैं चाहता हूं कि, वो न आये, इन खयालों में, मगर,वो आ ही जाती है, मेरे इन सवालों में. Read more…
वो एक मानव ही था,जो सड़क से जा रहा था.आसमान की तरफ देखते हुए,क्या इतने ही तारे हैं?जितने की इन ऊंची इमारतों,पर जगमगाती हुई रोशनिया. वो भागता है,उसके पीछे आने वाली भीड़ से,नहीं मैं नहीं भाग सकता,वो रुक जाता है, Read more…
इस दर्द भरे दिन की शाम नहीं है,इस आगाज़ का अंजाम नहीं है। ऐ चर्ख तूने लूट लिया सब कुछ मेरा,फिर भी तुझको इत्मीनान नहीं है. चैन-ओ-करार लूटा, अब जी चाहिए,क्या ज़रा भी दीन-ओ-ईमान नहीं है, कह दो दिल की Read more…
बिस्मिल हुआ है दिल निगह की मार से,नोक दिख रही है तीर की जिग़र के पार से जब से मारा है उन्होंने तबस्सुम फेंक करतब से रहने लगे हैं हम कुछ बेक़रार से इस क़दर खाया है धोका तेरे अहद Read more…
जब सिर्फ तुम्हे दुत्कार मिले,ऑफिस में बातें चार मिले,सब श्रेय सहकर्मी ले जाये,चपरासी भी घुड़की दे जायेज्यादा नहीं दो घूँट सहीतुम हया घोल कर पिया करोतुम लाफ्टर योगा किया करो जब यारों से इनकार मिलेबीवी से भी ना प्यार मिले,बच्चे Read more…
जब से उनका दीदार हुआ है,फ़ना चैन-ओ-करार हुआ है। गुल ही गुल हैं ता-हद्द-ए-नज़र,हर तरफ गुले गुलज़ार हुआ है। कुछ नज़र नहीं आता उनके सिवा,ये अब कौन सा आज़ार हुआ है। जिस ख़त में मेरे असरार बन्द थे,वो आज रक़ीब Read more…
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,ढाई आखर व्हाट्सएप के पढ़े सो पंडित होय। पंडित ऐसा घनघोर, ना सुने किसी की बात,ना माने यदि कोई, चलाये तुरतहि घूसे लात। © Sunil Chauhan
मराठी, बांग्ला, अंग्रेजी बोले निजा मज़बूरी में,हमनी के परान बसेला आपन ठेठ भोजपुरी में. हाथे सतुआ साने वाला, फंसल बा कांटा छुरी में,कुर्सी से बन्हाईल बानी, नीके खेलत रहनी धूरी में. सादगी में भी मजा रहे, दिमाग ना खटे फितूरी Read more…