मेरे एहसासों का
मुझसे अचानक
यूँही ख़फ़ा हो जाना
कहीं न कहीं चुभन
दे जाते हैं दिल को…
स्पंदन के बिना
सूने दिल का साथ
ख़लिश सी बिखेरती है
ख़्वाब अनमने से
दस्तक दे जाते हैं दिल को…
टूटकर जुड़ते हुए
बहुत कम देखा है,
सिलवटों का रह जाना,
नया ज़ख़्म दे जाता है
रीते से दिल को…
सच तो है,
कौन, कब तक
साथ दे पाता है
एक न एक दिन
हर साथ छूट जाता है
सिर्फ़ यादें , एहसासों पर
मलहम लगा जाती हैं,
भ्रमित कर जाती हैं,
बुत बने दिल को…
© चंचलिका
1 Comment
Nilanjan · April 19, 2022 at 12:22 pm
Sad but true. When you are left grieving for someone who departs leaving the journey you had undertaken, only emptiness remains. Beautiful poem, my friend.