Flower

फूल मुस्कुराते हैं

मुस्कराने के लिए जरूरी नहींपूरी तरहविज्ञापन में उतर जानाइन्सान के लिएतनाव रहित मस्तिष्कऔरपेट में अनाज का तिनकाहोठों की परिधि मेंमुस्कराहट को संतुलित रखते हैं। सिर्फ खुली हवा, पानी और धूप सेअहर्निश फूल मुस्कराते हैंइसीलिएजिंदगी के अंत: सौंदर्य मेंसबसे अच्छा हैमुस्कराने का तरीका फूलों से सीखनातमाम सक्रिय विरोधियों के होते हुए Read more…

corona

कोरोना

वक्त के हाथ में , अब भी वही कबीरा है ।चादर झीनी वही, घर अपना फूँक आते है ॥राग जीवन का मै,जब भी समझना चाहा ।दर्द में प्यार के, हर गीत उभर आते है ॥मानवीय रिश्तों पर, मॅडराती ये कैसी साया ।अपने लाशों को भी, पहचान से कतराते है ॥घुल Read more…

roti

रोटी

चेहरों पर उभरी, चिंता की रेखाएंकहती हैं आदमी के संघर्ष की गाथाएंरोटियों को पाने की ललक मेंठहर जाता है वक्त।इज्जत के पानी और स्वाभिमान के आटे से गूँथी,तनिक भी,आँच बर्दाश्त नहीं करती ये रोटियाँलेकिन, आसानी से ठहर जाती हैं अपने ‘आब ‘मेंआग में राग है तो रोटियाँ खिल जाती हैंजीवन Read more…

yaaden

.गीत

मन में याद, याद में तुम हो।तुझ में है सपने अनगिन॥आंगन है तुलसी का चौराऔर नीम यूँ झूम रही हैगिल्लू भागा दौड़ा फिरतागौरैया कुछ चुंग रही हैबाबा की धोती गीलाकरमुनुवा रोये हर पल -छिनमन में याद,याद में तुमहो … अनगिन॥याद तुम्हारी आए जब भीपूनम के खिलते -खिलतेचकवा- चकवी की दूरी Read more…

freedom

खुली हवा में साँस

खुली हवा में साँस लेने का सुखउस कबूतर से पूछोजो पिजड़े में कभी कैद न हो ।मुक्त गगन में दम्भ भरता हैउड़ने की कलाबाज़ी दिखाता हैनजदीक से इंद्रधनुष छूकरलौटने पर इतराता है ।पर कितना कठिन हैखुशी-खुशी सुहागिनों को अपनी मांग अपने हाथों पोंछना ।चूड़ियों को बेरहमी से फोड़ना । कितना Read more…

girl boy

फ़र्क़

लड़कियों के पैदा होने वबाप के लिए चिंता का बीजबोनेकी वजहसमाज द्वारा खाद पानीदहेज के रुप में जड़ों में डाला जाना हैक्योंकि जड़ें खाती हैं।पूरा पेड़ लहलहाता है।बाहर से भले ही पिता मुस्कुराता हैपर अंदर ही अंदर टूटता चला जाता है।शिकायत है तो सिर्फ पढ़े-लिखे लोगों सेक्योंकि यही समाज, दहेज Read more…

introspection

आत्ममंथन

मूल्यहीनता की छायाऔर भ्रष्टाचार का धूप हैजाने क्यूं !आजकल आईना चुप हैहर बात एक बिंदु पर आकरसलट जाता हैइसीलिए आईना टूटता बिखरता तो हैसच दिखाने और कहने का साहस भी है उसमेंपर हवा के सानिध्य में आते हीपलट जाता हैजब तक हम यह सोचते हैं कि इसके पीछे कौन है?तबतक Read more…

capitalism

पूँजीवाद टूटेगा

उन्हें रचने दो साज़िशऔर बनाने दो चक्रव्यूहअब अभिमन्यु नहीं मारा जाएगा और न ही द्रोणाचार्य एकलव्य का अंगूठा ले पाएंगेअब वृहन्नला भी संसद तक पहुंचेंगेशस्त्र समर्पण के प्रति न कोई भीष्म प्रतिज्ञा होगी और न ही होगा महाभारतजातिगत वर्ग संघर्ष की बात भी निरर्थक हैहाँ जो सोचते हैं अर्थ के Read more…

love is why

न जाने क्यों……

न जाने क्यों, मैं फिदा हूं, उसकी चाहत का. ना जाने क्यों, मैं दीवाना हूं, उसकी चाहत का. हर – दम मैं चाहता हूं कि, वो न आये, इन खयालों में, मगर,वो आ ही जाती है, मेरे इन सवालों में. न जाने क्यों,मै….. बहुत प्यार करती थी, सिर्फ मुझ पर Read more…

city

गांव या शहर?

वो एक मानव ही था,जो सड़क से जा रहा था.आसमान की तरफ देखते हुए,क्या इतने ही तारे हैं?जितने की इन ऊंची इमारतों,पर जगमगाती हुई रोशनिया. वो भागता है,उसके पीछे आने वाली भीड़ से,नहीं मैं नहीं भाग सकता,वो रुक जाता है, मगर नहीं,वो रुक भी नहीं सकता. सोचता है,क्या मैं, नहीं Read more…