Kavita / Shayari
क्षण भंगुर जीवन
चल रहा था पटरी पर ,घर की ओर वह… उसकी चाल में लापरवाही थी,उसे घर पहुँचने की जल्दी थी… बिना आवाज़ की आती हुई गाड़ी कोदेख भी न सका कि क्षण भर मेंचिर शांत होकर पटरी पर गिर पड़ा… ख़ून से लथपथ,चार टुकड़ों की लाश परपड़ी जब सबकी नज़र तो,हाहाकार Read more…