न जाने क्यों, मैं फिदा हूं,
उसकी चाहत का.
ना जाने क्यों, मैं दीवाना हूं,
उसकी चाहत का.
हर – दम मैं चाहता हूं कि,
वो न आये, इन खयालों में,
मगर,वो आ ही जाती है,
मेरे इन सवालों में.
न जाने क्यों,मै…..
बहुत प्यार करती थी,
सिर्फ मुझ पर मरती थी,
हमको जरा सी भी,
थी न खबर,
फिर भी,
जाँनिसार करती थी.
न जाने क्यों, मैं…..
हमको हुई खबर तो,
दिल टूट गया था, उसका,
सिवा तड़प के,
वो कुछ न कर सकती थी,
सब कुछ लुट,
गया था,उसका.
न जाने क्यों, मैं…..
हर वक्त कि,
उसकी यादों को,
अंदर दबाए बैठा हूं,
उसकी तस्वीर,
दिल से लगाए बैठा हूं.
न जाने क्यों, मैं फिदा हूं,
उसकी चाहत का.
ना जाने क्यों, मैं दीवाना हूं,
उसकी चाहत का.
~ अमन वर्मा
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