कड़ी मेहनत करते हैं वो
लगन से काम करते हैं वो
बदले में चाहते हैं…
थोड़ी सी छाँव,
तन ढकने को कपड़े,
दो जून की रोटी की ख़्वाहिश
रखते हैं…
कौन हैं वो ???
श्रमिक ही तो हैं…
पसीना हर पल बहाते हैं,
धूप में तन जलाते हैं,
ईंट, कंकरीट, गारे से
ईमारतें जो बनाते हैं,
कौन हैं वो???
श्रमिक ही तो हैं…
भीषण ताप सह कर
लोहे को गलाते हैं,
कारखाने में खटते हैं,
कलपुर्जे बनाते हैं,
बदले में अपने परिवार के लिए
ज़रा सा आश्वासन चाहते हैं,
कौन हैं वो???
श्रमिक ही तो हैं
© चंचलिका
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