ऐ जवान तू ऐसे चल,
दुश्मन का जाए, दिल दहल.
देश का तुझी से है, मनोबल,
ऐ जवान तू ऐसे चल,
दुश्मन का जाए दिल दहल.

त्याग की तू मूर्ति है,
अभिलाषाओं की संतुष्टि है,
श्रेष्ठता पर्याय तेरा,
तू शौर्य की पराकाष्ठा है.
ऐ जवान तू ऐसे चल…..

चाहे हो बर्फीली पहाड़ियां,
आकाश की ऊंचाइया, या
सागर की गहराइयां,
तू खड़ा है निडर.
ऐ जवान तू ऐसे चल…..

ओजपूर्ण चेहरा तेरा,
दमक रहा रवि समान.
तेरी शक्ति ही पहचान है,
देश का अभिमान है.

ऐ जवान तू ऐसे चल,
दुश्मन का जाए दिल दहल,
देश का तुझी से, मनोबल,
ऐ जवान तू ऐसे चल.
© अमन वर्मा


Aman Verma

Naawik

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