आते ही चुनाव
जीवित हो जातें हैं
कुछ मुर्दे
कुछ मुद्दे
जो पूर्व मे
रहते थें
भूलें-भटकें
गुमशुदा-गुमनाम!
तथा…तय होते ही
हार-जीत!
कर दिए जाते हैं जमा
पंचवर्षीय योजनाओं के
अन्तर्गत!
बर्फ के घरों में
पांच सालों तक!
ताकि बासी ना हों
मुर्दे भी
मुद्दे भी
अगले चुनावों तक।
© धनंजय शर्मा
0 Comments