किसी नदी/पोखरी के किनारे
छोटी पुलिया/बरगद के
चबूतरों पर बैठे बिना
पकड़ पतंगों की डोर
दौड़ लगाएं बिना या
तितलियों के पीछे बिन भागें।

सरसों के खेतों में,
किसी मोती, झबरा,
या शेरू के साथ बिना
लुकाछिपी का खेल खेलें।

या संझवत के शुरू होते ही,
झींगुरों के मधुर संगीत
से अगर तुम हो वंचित
तो, विश्वास करों मेरे दोस्त
तुमने सिर्फ बचपन बिताया है
तुमने बचपन नहीं जिया।

© धनंजय शर्मा


Dhananjay Sharma

बोलें तभी जब वो मौन से बेहतर हो

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