पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर व्हाट्सएप के पढ़े सो पंडित होय।

पंडित ऐसा घनघोर, ना सुने किसी की बात,
ना माने यदि कोई, चलाये तुरतहि घूसे लात।

© Sunil Chauhan

Categories: Hasya / Vyang

Sunil Chauhan

मुसाफ़िर हूँ यारों, मुझे चलते जाना है

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