Kavita / Shayari
बलिया गान
बलि राजा के रजधानी, तपसी के तप आधार,अनोखा बलिया जिला हमार। दरदर के पावन धरती पर, भृगु जी धइले पाँव,कोटि चौरासी मुनिगन आ के, घुमलन गाँवे-गाँव,फलित ज्योतिष के निरनय भइले, भृगु संहिता आधार।अनोखा बलिया जिला हमार। व्यालिस के जनक्राँति के, मिलल बड़ा सम्मान,बलिदानी के बलिदानन के, होत रहल नित गान,गंगा-सरजू-तमसा Read more…