अद्वैत प्रेम
काश! समझ लेता हर कोई, यहाँमोहब्बत, दर्द के सिवा कुछ भी नहींदर्द के खारा जल को भी पीना पड़ताखुद को खोने के सिवा, कुछ भी नहीं उस रास्ते पर चलने को मुड़ते हैं कदमजहाँ शूलों के सिवा और कुछ भी नहीं अंतर्मन से आवाज़ आती है, मीठी सीसमझा तो, गरल Read more