पक्का है जब भरोसा परवरदिगार में
खुश इस दयार में खुश उस दयार में

हम हैं राही प्यार के चलते हैं मस्ती में
फूल बिछे रस्ते में या राह-ए-पुरखार मे

जब अपनी कश्ती का नाख़ुदा ख़ुदा है
डरें क्यूँ भवसागर के भाटा में ज्वार में

हमने दिल से दिल का किया है सौदा
सूद क्या, ख़सारा कैसा इस ब्यापार में

© सुनील चौहान

दयार – भूखंड, प्रदेश
पुरखार – काँटों से भरा हुआ
नाख़ुदा – मांझी, नाव चलाने वाला
सूद – लाभ
ख़सारा – घाटा, हानि


Sunil Chauhan

मुसाफ़िर हूँ यारों, मुझे चलते जाना है

0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *