होता है जो वो ग़र तेरी मर्जी है
ये बुराई अच्छाई सब फर्जी है
नकली है प्यार नफ़रत बेमानी
परोपकार झूठा झूठी खुदगर्जी है
मढ़ के नेकी बदी उस के नाम
क्या हम सब करते मनमर्जी हैं?
© सुनील चौहान
होता है जो वो ग़र तेरी मर्जी है
ये बुराई अच्छाई सब फर्जी है
नकली है प्यार नफ़रत बेमानी
परोपकार झूठा झूठी खुदगर्जी है
मढ़ के नेकी बदी उस के नाम
क्या हम सब करते मनमर्जी हैं?
© सुनील चौहान
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