रुपिया के माला फेरल जाता
धराई ना लेकिन घेरल जाता

जे भरमल माया के जंजाल में
ओके ऊख जइसन पेरल जाता

जे अँखिये के सोझवा खाड़ा बा
ओके दुनिया भर में हेरल जाता

ख़ुशी के त अकाल बा लेकिन
मुँह पर मुस्कान लभेरल जाता

अपने से केहू डेरात नइखे
झूठहिं आँख तरेरल जाता

© सुनील चौहान


Sunil Chauhan

मुसाफ़िर हूँ यारों, मुझे चलते जाना है

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