मैं शक्तिशाली हूं,
मेरे पास अधिकार है,
कुचलने का हर किसी को,
बर्बाद करने का,
नेस्तोनाबूत करने का,
गलतियां मै करूँगा,
निर्बल भुगतेगा सजा.

हे राम तुम्हारे राज्य में,
यह कैसी आंधी आई है,
त्राहिमाम कर उठा है निर्बल,
बलशाली लहू पी रहा,
अब इनको कौन छत्रिय धर्म समझाएगा.

हे कृष्ण, वेड़ियों में कब तक जकड़े रहेंगे,
देवकी और वासुदेव,
अब बहुत हो चुका, तुम लो अवतार,
असुरों का करो, फिर से संघार.

हे गुरु गोविंद सिंह, आप कहां हो,
इन परकटे चिड़ियों में,
अब कौन हिम्मत जगायेंगा,
क्या बॉज के चंगुल यें चिड़ी बच पायेगा.

हे महात्मा गांधी, क्या यही था,
आपके आजाद भारत का सपना,
की मुट्ठी भर शक्तिशाली,
मनमानी करेंगे अपना.

हें सुभाष चंद्र बोस, आप अब कौन से देश को जाओगे,
किनको एकत्रित कर,
आताँताइयों के खिलाफ सेना बनाओगे,
क्या अपनों को ही,
सही राह दिखा पाओगे.

हे भगत सिंह, क्यों झूल गए,
हंसते हुए आप फांसी पर,
शक्तिशाली आज का कोई,
प्रायश्चित और बलिदान का,
अर्थ सही समक्ष ना पायेगा.

हें छत्रपति शिवाजी,
आपने क्यों उठाया स्वराज्य का बिडा,
स्वराज्य क्या यही हैं ,
सक्तिशाली दमन करता रहे निर्बल का.

हें संविधान के रचईता भीम, यें तुमने क्या रचा,
क्या इस संबिधान से कभी निर्बल इंसाफ पायेगा,
या संबिधान के अधिकारों का दुरूपयोग कर सक्तिशाली निर्बल को ही सताएगा.


Aman Verma

Naawik

0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *