का बा,
शहरन में का बा?
गांवन में होरहा बा,
कऊड़ा बा,
गिरवछ बा,
गोझा बा,
लिटी आ,
चोखा बा।

शहरन में का बा?
गांवन में बाग बा,
बगइचा बा,
ताल बा,
तलइया बानहर आ,
पोखरा बा।

शहरन में का बा?
गांवन में,
खेत बा,
खलिहान बा,
मेढ़ आ,
माचान बा।

शहरन में का बा?
गांवन में,
प्यार बा,
ठहराव बा,
भाई बा,
भवद बा,
खुला-खुला आ,
फ़ाका बा।

आ शहरन में का बा?
छल आ,
कपट बा,
नाला आगटर बा,
लूट आ‌
खसोट बा
धोखा बा
बेईमानी बा
बहुते,
भीड़-भाड़ बा
भेड़िया-धसान बा।

© धनंजय शर्मा


Dhananjay Sharma

बोलें तभी जब वो मौन से बेहतर हो

2 Comments

Prabhat Kumar Rai · September 3, 2021 at 10:57 am

भाई जबरदस्त!!!
आज के भागम भाग की दुनिया मे ऐसी कविता काफी सुकून देती है।
धन्यवाद।

Madhavendra Dutt · September 3, 2021 at 11:40 am

मराठी, बांग्ला, अंग्रेजी बोले निजा मज़बूरी में,
हमनी के परान बसेला आपन ठेठ भोजपुरी में.

~ Sunil Chauhan
https://aatmabhivyakti.in/kavita-shayari/majboori/

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *