हर कालेजों,
बस स्टेशनों,
बाज़ारों,
और उनके घरों से,
कार्यस्थलों के रास्तों में
हर भीड़-भाड़ वाली जगहों,
व प्रत्येक सुनसान सड़कों पर भी
होने चाहिए एक-एक अंडरपास
ताकि “कुछ” पुरूषों से मिले बिना ही,
औरतें पहुंच सकें अपने गंतव्यों तक
और ‘अनचाहे स्पर्शों’ को झेले बिना
वें पहुंच जाएं,
अपनी दहलीज़ में वापस।
© धनंजय शर्मा
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