Kavita / Shayari
नाख़ुदा
पक्का है जब भरोसा परवरदिगार मेंखुश इस दयार में खुश उस दयार में हम हैं राही प्यार के चलते हैं मस्ती मेंफूल बिछे रस्ते में या राह-ए-पुरखार मे जब अपनी कश्ती का नाख़ुदा ख़ुदा हैडरें क्यूँ भवसागर के भाटा में Read more…
पक्का है जब भरोसा परवरदिगार मेंखुश इस दयार में खुश उस दयार में हम हैं राही प्यार के चलते हैं मस्ती मेंफूल बिछे रस्ते में या राह-ए-पुरखार मे जब अपनी कश्ती का नाख़ुदा ख़ुदा हैडरें क्यूँ भवसागर के भाटा में Read more…
होता है जो वो ग़र तेरी मर्जी हैये बुराई अच्छाई सब फर्जी है नकली है प्यार नफ़रत बेमानीपरोपकार झूठा झूठी खुदगर्जी है मढ़ के नेकी बदी उस के नामक्या हम सब करते मनमर्जी हैं? © सुनील चौहान
रुपिया के माला फेरल जाताधराई ना लेकिन घेरल जाता जे भरमल माया के जंजाल मेंओके ऊख जइसन पेरल जाता जे अँखिये के सोझवा खाड़ा बाओके दुनिया भर में हेरल जाता ख़ुशी के त अकाल बा लेकिनमुँह पर मुस्कान लभेरल जाता Read more…
काश! समझ लेता हर कोई, यहाँमोहब्बत, दर्द के सिवा कुछ भी नहींदर्द के खारा जल को भी पीना पड़ताखुद को खोने के सिवा, कुछ भी नहीं उस रास्ते पर चलने को मुड़ते हैं कदमजहाँ शूलों के सिवा और कुछ भी Read more…
चीकन देहियाँ सीसा जइसन चमके चकाचकमनवाँ से कूड़ा करकट खर पतवार ना गइल घर संसार छोड़ि के चलि गइनी एकांत मेंमन से लेकिन कबहुँ गाँव बाज़ार ना गइल उखी बिखी लागल रहे जियरा रहे अशांतजबले अभिलाषा मनसा के भरमार ना Read more…
दो दूनी के चार में, माया के बाज़ार मेंदुनियावी प्यार में, रोज रोज तकरार मेंकष्ट,पीड़ा,संताप,वेदना, दुःख के कई प्रकार मेंपड़े हुए हैं आँख मूँद के क्षणभंगुर संसार मेंजागो प्यारे आँखें खोलो, देखो क्या है उस पार मेंचिंता शंका छोड़ के Read more…
जवन मिलल बा ऊ लीं, कुछ करे के नईखेबहे दीं समइया के धार, ओके धरे के नईखे मूवे के बटले बा सभका एक ना एक दिनलेकिन रोज रोज तनी तनी मरे के नईखे उनुकरे दीहल सुखवा में बड़ा मजा आवेलाउनुकरे Read more…
बडी जद्दोज़हद के बादतुम्हारा पता मिलाठिकाने पर आने पर तुम नहींदरवाज़े पर बडा सा ताला मिला सोचा बचपन की शरारत की आदतअब तक तुम्हारी गई नहींघर पर रह कर कहलवाने की,कह दो घर पर मैं नहीं आस पास देखा तो Read more…
‘रिश्ता’ कहना, देखना, सुनना सब कुछ अच्छा लगता है। लेकिन क्या उतना ही अच्छा रिश्ते को समझना लगता है या निभाना भी लगता है ? सचमुच बहुत आसान होता है , किसी से जुड़ जाना लेकिन बहुत मुश्किल होता है, Read more…
देते हैं ज़ख़्म हर दिन एक नये अंदाज़ में वोतासीर ए मोहब्बत निभाते नये अंदाज़ में वोगुलशन से तोड़कर पनाह तो दिया है गुल कोकांटे चुभाते हैं हर पंखुड़ी में नये अंदाज़ में वो… फ़िज़ा को ख़िज़ाँ में बदले नये Read more…